रविवार को अरविन्द केजरीवाल ने एक न्यूज़ पोर्टल जनता का रिपोर्टर को दिए इंटरव्यू में कहा की मीडिया का एक हिँसा आम आदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है। फिर क्या था मीडिया ने इसे हाथो हाथ लिया और ये चलाया जाने लगा की एक मुख्यमंत्री को ऐसा नही कहना चाहीये था। अरविन्द अपने वादे नही निभा पाने पर मीडिया के द्वारा उठाये जा रहे सवाल से घबराकर ऐसा बोल रहे है अरविन्द को अपनी बुराई पसंद नही है फला फला चलने लगा।
लेकिन मैं आपको बताना चाहता हु वो इंटरव्यू पूरा लाइव मै देख रहा था उसमे अरविन्द ये कहने से पहले और बाद में वो पूरी बात में ये भी बताया की वो ऐसा क्यों कह रहे है उन्होंने मेल टुडे का नाम लेकर कहा की इस अख़बार ने दिली सरकार और NTPC से तना तनी की झुठी खबर चलाई NTPC ने भी इससे इंकार किया है लेकिन सुपारी जरलिजम की खबर चलने वाले इसकी सचाई की तहकीकात क्यों नही की ? की ऐसा मेल टुडे अख़बार ने किया है या नही ? मेल टुडे के प्रतिनिधि को क्यों नही उस डिबेट में शामिल किया क्या यही ईमानदार पत्रकारिता है? अरविन्द ने उसी इंटरव्यू में कहा की दिली ACB ने जब दिली पुलिस के हेड कांस्टेबल को घुस लेते रगे हाथ गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद कुछ अंग्रेजी पेपर ने अपने वेबसाइट पे ये न्यूज़ भी चलायी मैं जयपुर रहकर आउटलुक और टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के माध्यम से ये खबर पढ़ी उसके बाद उस पुलिस का अपहरण का केस दर्ज कर लिया गया दिली पुलिस के द्वारा और ये खबर खासकर के 24 घंटे वाले न्यूज़ चैनेल ने दीखाया ही नही की मोदी सरकार के अधीन कार्य करने वाली पुलिस ने एक घुसखोर पुलिस के बचाओ में अपने अधिकारो का दुरूपयोग कर रही है किसी ने नही चलाया क्यों ? इस पत्रकारिता को क्या नाम दे ? ये वही दिली पुलिस है जिसने आम आदमी पार्टी के दिली चुनावों के समय FM पे एक विज्ञापन को बन्द करवा दिया था ये कहते हुए की इससे दिली पुलिस की छवि ख़राब हो रही है उस विज्ञापन में ये था की एक लड़की छेड़छाड़ की शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती है और पुलिस उससे छेड़छाड़ का सबूत मांगती है ये दिली पुलिस के दो चेहरे है उनकी छवि घूसखोर पुलिस वाले से क्या नही घटती है ? लेकिन ये सब खबरे दब क्यों जाती है? क्या ये सब जान बुझकर होता है ? और एक ताजा ताजा मामला कुमार विस्वास से जुड़ा है कुमार विस्वास के मामले में पूरा पढ़ने और देखने के बाद अभी तक ये समझ नही आया कुमार पे आरोप क्या है ? लेकिन खबर 24 घंटे चल रही है ये खबर उस समय चल रही है जब मध्य प्रदेश के कुछ किसान 25 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे है उन्हें को 1 घंटे भी दीखने को राजी नही है। लेकिन कुमार विस्वास की खबर पुरेदिन चल रही है मामला ये है की वो महिला ये कह रही है की मेरा कुमार विस्वास के साथ किसी प्रकार के सम्बन्ध नही है कुमार विस्वास भी यही कह रहे है वो महिला कह रही है की कुछ लोग सोशल मीडिया पे मेरे बारे में दुशप्रचार कर रहे है की मुझे कुमार विस्वास के साथ सोते हुए उनकी पत्नी ने पकड़ा है लेकिन ये सभी जानते है की इस मामले में किसी अज्ञात आदमी ने मेल किया था ये आरोप लगते हुए और इस मेल को छापा था DNA अख़बार ने और ये अख़बार BJP के लिए हरियाणा में प्रचार कर चुके सुभास चन्द्रा का है जिसपे ये भी आरोप लगे है की 100 करोड़ मांग रहे थे नवीन जिंदल से जिस मामले में ZEE NEWS के संपादक सुधीर चौधरी जेल भी गए थे अब बताये उस महिला को कौन बदनाम कर रहा है ? क्या इस तरह की फर्जी मेल को रास्ट्रिये खबर DNA ने बनाकर ईमानदार पत्रकारिता की ? उस महिला ने एक महीने पहले तीन लोगो के खिलाफ FIR करी है दिली पुलिस के यहा की तीन लोग दुस्पर्चार कर रहे है ये मीडिया दिली पुलिस से क्यों नही पूछती की क्या किया उस FIR का ? एक चैनेल हेडिंग चला रहा है क्यों करे विस्वास कुमार विस्वास पे इस चैनेल के मालिक कई घोटालो के आरोपी मुकेश अम्बानी का है अब बताये की कुमार विस्वास पे आरोप क्या है ? ऐसे आधारहींन खबर चलाने को क्या नाम दे ? क्या है आरोप कुमार विस्वास पे ?
ऐसे अनगिनित मामले है जोे सुपारी जरलीजम लगता है देखने और पढने में ।
इसी तरह उसी इंटरव्यू में किसी जनता के सुझावों को आगे बढ़ाते हुए अरविन्द ने कहा की मीडिया का पब्लिक ट्रायल होना चाहीये जनता तय करे कौन से खबर तथ्यहींन है झुठी है इसे लेकर भी मीडिया ने खूब हाय तोबा किया लेकिन उसी समय ये भी कहा की दिली के मीडिया हाउस में मजीठिया बोर्ड लागु करवा के रहुगा जिससे पत्रकारो को फायदा होगा उनका हक़ कुछ मीडिया हाउस मार रहे है लेकिन किसी चैनेल ने ये नही दीखाया क्यों ? ये मीडिया में काम करने वाले की हित की बात नही थी ? ये क्यों नही दीखाया जा रहा है । इस तरह के पत्रकारिता को सुपारी लेकर परकारित करना नही तो और क्या कहे ?
सुपारी लेकर पत्रकारिता करने के आरोप पे जब हंगामा चल रहा है उसी समय ये अरविन्द केजरीवाल पे आरोप लगाये गए की वो अपना वादा नही पूरा कर पा रहे है और उसपे मीडिया सवाल उठा रहा है तो अरविन्द बोखला गए है लेकिन अरिवन्द केजरीवाल हमेशा ये कह रहे है की दिली सरकार के कार्यो को दिखाया जाये लेकिन कभी भी मीडिया दिली सरकार केे तीन महीने में जो कार्य किया है इसको तो दीखा ही नही रही है फिर ऐसा कैसे आरोप लगा रही है की सरकार की आलोचना बर्दाश्त नही कर पा रहे है अरविन्द केजरीवाल लेकिन यहाँ अरविन्द केेजरीवाल की आलोचना कभी योगेन्द्र यादव को लेकर हो रही है कभी कुमार विस्वास को लेकर जिससे दिली की सरकार का कोई लेना देना नही है। मीडिया का एक हिंसा आम आदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है ये केवल अरविन्द केजरीवाल ही नही कह रहे है इसी तरह की कुछ बात ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल इंडिया सवाद कह रहा है पढ़े ‘News Traders Night’ at Jaitley’s residence, Modi joins secret party to manage top guns http://indiasamvad.co.in/news-traders-night-at-jaitleys-residence-modi-joins-secret-party-to-manage-top-guns/ ये भी एक मीडिया हाउस है कुछ मीडिया हाउस कुमार विस्वास के मामले को चलाने में ये दुहाई दे रहे है की ये महिला से जुड़ा मामला है फिर देश की प्रधानमंत्री की पत्नी RTI लगा रही है जानकारी के लिया BBC के अनुसार वो कोर्ट भी जा सकती है ये महिला से जुड़ा मामला नही है ? इसे केवल BBC ही क्यों चला रहा है "सबसे तेज, सबसे आगे, खबर वही जो .... ये कहे " ये क्यों नही दीखा रहे है ये किसको खुश करने के लिया किया जा रहा है
राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह की आत्म हत्या को दीखाते समय पत्रकारिता के सारे वसूल ताक पे रख दिए गए क्योकि पत्रकारिता का पहला वसूल है किसी भी मरे हुए व्यक्ति के का फ़ोटो नही दीखाना लेकिन अधिकतर चैनेल ने दीखाया फिर एक चैनेल ज़ी न्यूज़ ने एक ऑडियो कुमार विस्वास का चलाया की वो बोल रहे है "लटक गया " इस फर्जी ऑडियो के खिलाफ कुमार विस्वास ने इस सुपारी लेने वाले चैनेल को नोटिस भेज रखा है ऐसा ही कुछ मामला एक इण्डिया टीवी के एक एनकर तनु शर्मा ने इंडिया टीवी के ऑफिस में ही आत्म हत्या की कोसिस की लेकिन इस पुरे देश की मीडिया ने नही दीखाया क्या ये न्यूज़ नही थी ? उसदिन भी उस महिला पत्रकार के लिए अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस करके अपना पूरा साथ देने का भरोसा दिलाया था उस दिन ये मीडिया हाउस अपने ही एक साथी के साथ क्यों खड़े नही होया था ? जिस तरह गजेन्द्र ने आम आदमी पार्टी के रैली में आत्म हत्या की उसी तरह तनु शर्मा ने इण्डिया टीवी के ऑफिस आत्म हत्या की कोसिस की लेकिन वी बच गयी दोनों मामले में फर्क सिर्फ इतना है उस दिन कहा गयी थी मीडिया की नैतिकता ??? इसलिए अरविन्द केजरीवाल ने कुछ मीडिया हॉउस को कहा था की इन लोगों ने आमआदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है उसके कुछ तथ्य मैंने रखने की कोसिस की है लेकिन अभी भी बहुत मीडिया हाउस है जो सुपारी जरलीजम से परे है।