Tuesday 5 May 2015

सुपारी जर्नलिज़म पे इतना हंगामा क्यों बरपा है।

रविवार को अरविन्द केजरीवाल ने एक न्यूज़ पोर्टल जनता का रिपोर्टर को दिए इंटरव्यू में कहा की मीडिया का एक हिँसा आम आदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है। फिर क्या था मीडिया ने इसे हाथो हाथ लिया और ये चलाया जाने लगा की एक मुख्यमंत्री को ऐसा नही कहना चाहीये था। अरविन्द अपने वादे नही निभा पाने पर मीडिया के द्वारा उठाये जा रहे सवाल से घबराकर ऐसा बोल रहे है अरविन्द को अपनी बुराई पसंद नही है फला फला चलने लगा।

लेकिन मैं आपको बताना चाहता हु वो इंटरव्यू पूरा लाइव मै देख रहा था उसमे अरविन्द ये कहने से पहले और बाद में वो पूरी बात में ये भी बताया की वो ऐसा क्यों कह रहे है उन्होंने मेल टुडे का नाम लेकर कहा की इस अख़बार ने दिली सरकार और NTPC से तना तनी की झुठी खबर चलाई NTPC ने भी इससे इंकार किया है लेकिन सुपारी जरलिजम की खबर चलने वाले इसकी सचाई की तहकीकात क्यों नही की ? की ऐसा मेल टुडे अख़बार ने किया है या नही ? मेल टुडे के प्रतिनिधि को क्यों नही उस डिबेट में शामिल किया क्या यही ईमानदार पत्रकारिता है? अरविन्द ने उसी इंटरव्यू में कहा की दिली ACB ने जब दिली पुलिस के हेड कांस्टेबल को घुस लेते रगे हाथ गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद कुछ अंग्रेजी पेपर ने अपने वेबसाइट पे ये न्यूज़ भी चलायी मैं जयपुर रहकर आउटलुक और टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के माध्यम से ये खबर पढ़ी उसके बाद उस पुलिस का अपहरण का केस दर्ज कर लिया गया दिली पुलिस के द्वारा और ये खबर खासकर के 24 घंटे वाले न्यूज़ चैनेल ने दीखाया ही नही की मोदी सरकार के अधीन कार्य करने वाली पुलिस ने एक घुसखोर पुलिस के बचाओ में अपने अधिकारो का दुरूपयोग कर रही है किसी ने नही चलाया क्यों ? इस पत्रकारिता को क्या नाम दे ? ये वही दिली पुलिस है जिसने आम आदमी पार्टी के दिली चुनावों के समय FM पे एक विज्ञापन को बन्द करवा दिया था ये कहते हुए की इससे दिली पुलिस की छवि ख़राब हो रही है उस विज्ञापन में ये था की एक लड़की छेड़छाड़ की शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती है और पुलिस उससे छेड़छाड़ का सबूत मांगती है ये दिली पुलिस के दो चेहरे है उनकी छवि घूसखोर पुलिस वाले से क्या नही घटती है ? लेकिन ये सब खबरे दब क्यों जाती है? क्या ये सब जान बुझकर होता है ? और एक ताजा ताजा मामला कुमार विस्वास से जुड़ा है कुमार विस्वास के मामले में पूरा पढ़ने और देखने के बाद अभी तक ये समझ नही आया कुमार पे आरोप क्या है ? लेकिन खबर 24 घंटे चल रही है ये खबर उस समय चल रही है जब मध्य प्रदेश के कुछ किसान 25 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे है उन्हें को 1 घंटे भी दीखने को राजी नही है। लेकिन कुमार विस्वास की खबर पुरेदिन चल रही है मामला ये है की वो महिला ये कह रही है की मेरा कुमार विस्वास के साथ किसी प्रकार के सम्बन्ध नही है कुमार विस्वास भी यही कह रहे है वो महिला कह रही है की कुछ लोग सोशल मीडिया पे मेरे बारे में दुशप्रचार कर रहे है की मुझे कुमार विस्वास के साथ सोते हुए उनकी पत्नी ने पकड़ा है लेकिन ये सभी जानते है की इस मामले में किसी अज्ञात आदमी ने मेल किया था ये आरोप लगते हुए और इस मेल को छापा था DNA अख़बार ने और ये अख़बार BJP के लिए हरियाणा में प्रचार कर चुके सुभास चन्द्रा का है जिसपे ये भी आरोप लगे है की 100 करोड़ मांग रहे थे नवीन जिंदल से जिस मामले में ZEE NEWS के संपादक सुधीर चौधरी जेल भी गए थे अब बताये उस महिला को कौन बदनाम कर रहा है ? क्या इस तरह की फर्जी मेल को रास्ट्रिये खबर DNA ने बनाकर ईमानदार पत्रकारिता की ? उस महिला ने एक महीने पहले तीन लोगो के खिलाफ FIR करी है दिली पुलिस के यहा की तीन लोग दुस्पर्चार कर रहे है ये मीडिया दिली पुलिस से क्यों नही पूछती की क्या किया उस FIR का ? एक चैनेल हेडिंग चला रहा है क्यों करे विस्वास कुमार विस्वास पे इस चैनेल के मालिक कई घोटालो के आरोपी मुकेश अम्बानी का है अब बताये की कुमार विस्वास पे आरोप क्या है ? ऐसे आधारहींन खबर चलाने को क्या नाम दे ? क्या है आरोप कुमार विस्वास पे ?
ऐसे अनगिनित मामले है जोे सुपारी जरलीजम लगता है देखने और पढने में ।
इसी तरह उसी इंटरव्यू में किसी जनता के सुझावों को आगे बढ़ाते हुए अरविन्द ने कहा की मीडिया का पब्लिक ट्रायल होना चाहीये जनता तय करे कौन से खबर तथ्यहींन है झुठी है इसे लेकर भी मीडिया ने खूब हाय तोबा किया लेकिन उसी समय ये भी कहा की दिली के मीडिया हाउस में मजीठिया बोर्ड लागु करवा के रहुगा जिससे पत्रकारो को फायदा होगा उनका हक़ कुछ मीडिया हाउस मार रहे है लेकिन किसी चैनेल ने ये नही दीखाया क्यों ? ये मीडिया में काम करने वाले की हित की बात नही थी ? ये क्यों नही दीखाया जा रहा है । इस तरह के पत्रकारिता को सुपारी लेकर परकारित करना नही तो और क्या कहे ?
सुपारी लेकर पत्रकारिता करने के आरोप पे जब हंगामा चल रहा है उसी समय ये अरविन्द केजरीवाल पे आरोप लगाये गए की वो अपना वादा नही पूरा कर पा रहे है और उसपे मीडिया सवाल उठा रहा है तो अरविन्द बोखला गए है लेकिन अरिवन्द केजरीवाल हमेशा ये कह रहे है की दिली सरकार के कार्यो को दिखाया जाये लेकिन कभी भी मीडिया दिली सरकार केे तीन महीने में जो कार्य किया है इसको तो दीखा ही नही रही है फिर ऐसा कैसे आरोप लगा रही है की सरकार की आलोचना बर्दाश्त नही कर पा रहे है अरविन्द केजरीवाल लेकिन यहाँ अरविन्द केेजरीवाल की आलोचना कभी योगेन्द्र यादव को लेकर हो रही है कभी कुमार विस्वास को लेकर जिससे दिली की सरकार का कोई लेना देना नही है। मीडिया का एक हिंसा आम आदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है ये केवल अरविन्द केजरीवाल ही नही कह रहे है इसी तरह की कुछ बात ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल इंडिया सवाद कह रहा है पढ़े ‘News Traders Night’ at Jaitley’s residence, Modi joins secret party to manage top guns http://indiasamvad.co.in/news-traders-night-at-jaitleys-residence-modi-joins-secret-party-to-manage-top-guns/ ये भी एक मीडिया हाउस है कुछ मीडिया हाउस कुमार विस्वास के मामले को चलाने में ये दुहाई दे रहे है की ये महिला से जुड़ा मामला है फिर देश की प्रधानमंत्री की पत्नी RTI लगा रही है जानकारी के लिया BBC के अनुसार वो कोर्ट भी जा सकती है ये महिला से जुड़ा मामला नही है ? इसे केवल BBC ही क्यों चला रहा है "सबसे तेज, सबसे आगे, खबर वही जो .... ये कहे " ये क्यों नही दीखा रहे है ये किसको खुश करने के लिया किया जा रहा है
राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह की आत्म हत्या को दीखाते समय पत्रकारिता के सारे वसूल ताक पे रख दिए गए क्योकि पत्रकारिता का पहला वसूल है किसी भी मरे हुए व्यक्ति के का फ़ोटो नही दीखाना लेकिन अधिकतर चैनेल ने दीखाया फिर एक चैनेल ज़ी न्यूज़ ने एक ऑडियो कुमार विस्वास का चलाया की वो बोल रहे है "लटक गया " इस फर्जी ऑडियो के खिलाफ कुमार विस्वास ने इस सुपारी लेने वाले चैनेल को नोटिस भेज रखा है  ऐसा ही कुछ मामला एक इण्डिया टीवी के एक एनकर तनु शर्मा ने इंडिया टीवी के ऑफिस में ही आत्म हत्या की कोसिस की लेकिन इस पुरे देश की मीडिया ने नही दीखाया क्या ये न्यूज़ नही थी ? उसदिन भी उस महिला पत्रकार के लिए अरविन्द केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेस करके अपना पूरा साथ देने का भरोसा दिलाया था उस दिन ये मीडिया हाउस अपने ही एक साथी के साथ क्यों खड़े नही होया था ? जिस तरह गजेन्द्र ने आम आदमी पार्टी के रैली में आत्म हत्या की उसी तरह तनु शर्मा ने इण्डिया टीवी के ऑफिस आत्म हत्या की कोसिस की लेकिन वी बच गयी दोनों मामले में फर्क सिर्फ इतना है उस दिन कहा गयी थी मीडिया की नैतिकता ??? इसलिए अरविन्द केजरीवाल ने कुछ मीडिया हॉउस को कहा था की इन लोगों ने आमआदमी पार्टी को खत्म करने की सुपारी ले रखी है उसके कुछ तथ्य मैंने रखने की कोसिस की है लेकिन अभी भी बहुत मीडिया हाउस है जो सुपारी जरलीजम से परे है।

Monday 27 April 2015

अब समय आगया है सामंतवादी सरकारी तंत्र से लड़ने का।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र में जनता मालिक होती है। और ये ललित निबंधिये शब्द बचपन से सुनता आया हु लेकिन बचपन से आज तक मैंने कभी जनता को मालिक बने देखा नही और किसी सरकारी बाबू को जनता का सेवक बना देखा नही ।

मै जिस घटना के बारे में आज लिख रहा हूँ  वो ये है की घटना 22 अप्रैल 2015 की है जिस दिन एक RTI की अपील की सुनवाई का दिनाँक निर्धारित था राजस्थन सचिवालय के सामन्य परसासन्न विभाग के प्रमुख शासन सचिव के यहाँ और समय भी निर्धारित था 3.30PM बजे और मै पहुँच गया प्रमुख सचिव अजित कुमार सिंह के निजी सचिव के पास उन्होने कहा की अभी 3.24 pm हुआ है साहब को निर्धारित समय पे ही फ़ोन कर बोलूंगा हमने कहा कोई बात नही जब 3.30 PM पे निजी सचिव ने प्रमुख सचिव से बात की और बताया की साहब करौली के SDM और सवाईमाधोपुर के DM के साथ मीटिंग कर रहे है आप 4.15PM में आओ मैंने कहा इस पत्र पे लिख दो की 3.30 PM से 4.15PM समय कर दिया गया है वो अजीब से घूरते हुये बोला आपको तो जल्दी समय मिल गया लोग सुबह से इंतजार कर रहे है मैंने कहा की मैं खुद नही आया हु मुझे आपने 10 दिन पहले पत्र लिख कर बुलाया है और आपने ही समय दिया है। फिर मैं उनके ऑफिस से निकल सचिवालय के कैंपस में घूमते हुए पेड के निचे बैठ गया और इन्तजार करने लगा तभी एक पुलिस आया की मुख्य सचिव आने वाले है आप यहाँ से जाये वो नाराज होंगे मैंने कहा क्यों नाराज होंगे हम इस तेज धुप में कहा जाये कोई जगह भी इन्तजार करने का नही है। फिर वो माना और मै फिर 4.15 PM में पहुँच प्रमुख सचिव सामन्य परसासन विभाग के निजी सचिव के पास  गया वो फिर फ़ोन किया और बात करने के बाद बोला अभी और इन्तजार करना होगा मैंने पूछा कितना वो बोले ये नही बता सकता मैंने कहा कोई अनिश्चित समय तक मैं इंतजार नही कर सकता वो नाराज हो गया और बोला यहाँ तो साहब जब चाहेंगे तब ही मिल सकते है मैंने कहा उन्होंने ही समय निर्धारित किया है तब मैं आया हु वो निजी सचिव अजीब नुगाहो से घूरते हुए एक आदमी के तरफ इसारे करते हुए बोला ये सुबह से इन्तजार कर रहे और आप इतने मे परेसान हो गए मैंने कहा मै कितना इन्तजार करु आप ये भी तो नही बता रहे है फिर उसने साहब को फोन किया और बोलता है की ये बोल रहे है की मै इन्तजार नही करूँगा फिर फ़ोन रख के बोला साहब ने बोला है आप जा सकते है मैंने कहा आप इस पत्र पे यही बात लिख दो वो बोलता है की पहली बार इस ऑफिस में ऐसे कोई बात कर रहा है मैंने कहा क्यों आप ये अपेछा रखते हो की जनता आपके सामने गिड़गिड़ाते रहे ? आप के कोई गुलाम थोड़े न है जो आपने हमें बोला वो आप लिख दो बात खत्म होगयी । तब तक 5PM बज गए थे तभी एक आदमी आया मीटिंग खत्म हो गया फिर हम अजित कुमार सिंह के पास पहुचे और उन्होने हमसे पूछा की बताओ क्यों अपील लगाई है हमने बता दिया फिर बोले ठीक है जाओ हम उठकर आ गए।
लेकिन हम आपको बता देकी किसी भी मीटिंग में उपस्थिति के लिए अनिवार्य रूप से सभी मीटिंग में मौजूद लोगो की हस्तकछर के साथ उस मीटिंग में क्या हुआ वो लिखना जरुरी होता है और उस मीटिंग का निर्णय क्या रहा वो भी लेकिन वो कुछ नही हुआ और वो भी एक IAS अधिकारी के मीटिंग में ये सब कुछ हुआ जिनकी आयु देख कर लग रही थी कुछ समय में वो सेवानिर्वित हो जायेगे।
मैंने 21 अप्रैल 2015 को दैनिक भास्कर के पहले पेज पे छपा अमेरिकी कंसल्टेंट का ब्लॉग पढ़ा जिसमे ये लिखा था की "भारत में जो जितना इन्तजार करवाये वो उतना बड़ा VIP" वो राजस्थान सरकार के साथ ही 6 महीने कार्य करके अमेरिका लोटा है वो भारत और राजस्थान की छवि क्या दुनिया भर में बनी होगी ? विदेशी निवेसक क्या केवल 5 स्टार एक्टिविस्ट की वजह से ही हमारे देश में निवेस करने से हिचक रहे है या इस परकार के अधिकारी के वजह से? जो खुद समय देकर लंबे समय तक इंतजार करवाते है और मिलकर भी केवल खाना पूर्ति करते है।

मैंने अपने ब्लॉग का शिर्सक दिया है की " अब समय आ गया है सामन्तवादी सरकारी तंत्र से लड़ने का " वो इसलिए ये सरकारी कर्मचारी शूरू से ही इनका व्योहार् राजा की तरह रहा है और हम लोगो ने कभी इनको इसके लिए चुनोती नही दिया है जिससे ये लोगों का मनोबल बढ़ा है अब जरुरत है ऐसे लोगो की लिखित में शिकायत करने की इसी लिए मैंने प्रमुख शासन सचिव सामान्य परसासं विभाग और उनके निजी सचिव दोनों की शिकायत मुख्यमंत्री से करने की जिससे ऐसे अधिकारियो के खिलाफ भले उसपे कार्यवाई होगी नही होगी अलग बात है लेकिन एक से ज्यादा शिकायत एक अधिकारी के बारे में मिलने लगेंगे तो सरकार के लिए भी ऐसे अधिकारी को बचना मुश्किल होगा क्योकि एक शिकायत दो शिकायत को आधारहीन बताया जा सकता है 10, 20 शिकायत को एक अधिकारी के खिलाफ शिकायत को आधारहीन बताना बहुत मुश्किल इसलिए ऐसे अधिकारी की शिकायत करनी चाहीये ।

इसलिए जो लोग भी ऐसा मानते है मेरी तरह की सरकारी तंत्र ख़राब है सही काम नही करता है  तो अपनी भी कुछ जिमेदारी बनती है उनके खिलाफ लिखित में शिकायत करे और शिकायत करते समय ये नही सोचे की एक आदमी के शिकायत करने से क्या होगा।आप आपनी जिमेदारी निभाए दुआरे देर सबेर अपने आप आजायेंगे। इसी बात के साथ सामंतवादी सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ाई की शुरुवात करे।

Thursday 9 April 2015

शाम होते होते मेरी सोच बदल गयी

दिली के तुगलकाबाद में हुए हादसे ने पुरे देश का ध्यान खीचा क्योकि सड़क पर दो वाहन सवार के गाड़ी आपसे में टकराये जिससे सम्भवतः एक वाहन में खरोच आगयी और इस मामूली से घटना के बाद एक वाहन चालक ने दूसरे को जान से मार डाला मैंने इस खबर को देखते हुए सोचा कैसा होगा वो आदमी जो इतनी सीे बात के लिए एक आदमी की जान लेली ।
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> इस खबर को दीखाते हुए मीडिया ने यह भी दीखाया की वहा पुलिस मौजूद थी और उसने बचाने का कोई प्र्यास नही किया वो मूक दर्शक की तरह देखता रहा । तब इस खबर को देखकर मैंने ये प्रतिक्रीया दी थी की नही गलती पुलिस की नही हम नागरिको की है जो सब कुछ पुलिस पे छोड़ देते है। जिस आदमी ने ये घटना को आजम दिया होगा वो पहले भी सड़क पे वाहन पे चलते हुए दूसरे वाहन चालक से अभद्रता करता होगा या मारपीट भी लेकिन किसी ने शिकायत उसके खिलाफ नही की होगी क्योकि हम भारतीयो की मानसिकता  होती है की हम गलत होता देख कहते है की इसका भी कोई बाप मिलेगा वो इसको सूधार देगा और अनदेखा कर चल देते है जिससे इसतरह के हिंसक लोगो का मनोबल बढ़ता रहता है। और किसी दिन गाली गलौज और मारपीट की मामूली घटना में किसी की मोत तक हो जाती है क्योकि उसको पहले बार ही सबक क़ानूनी तोर पे नही सिखाया गया।
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> इन सारे घटना के बीच आज मेरे ऑफिस के सहयोगी ने बताया की आज जब वो ऑफिस अपनी कार से आ रहे थे तब अहिंसा सर्किल से ही उन्होंने अपनी कार का इंडिकेटर दे रखा था और वो आराम से जब मुड़े तो एक आदमी ने गाड़ी  तेजी से घुसा दिया और उलटे सीधे गाली निकालने लगा वो बोले की मैं अचंभित था की कोई व्यक्ति गलती करने के बाद खुद गाली कैसे निकाल सकता है मैंने उनसे तुरंत पूछा की फिर आपने क्या किया तो उनका जबाब था की कुछ नही में चुप चाप ऑफिस आगया। मैंने उनसे कहा की आप जैसे लोग दोषी है तुगलकाबाद जैसे घटना के लिए क्योकि मेंरा मानना है किसी की गलती को अंदेखा करना उसको और बड़ी गलती करने के लिए प्रोत्साहित करना है ।
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> लेकिन मुझे क्या पता था की आज ही के दिन इसतरह के घटना से मुझे ही रूबरू होना पड़ेगा और आज मेरे लिए भी एक परिछा की घडी थी क्योकि मेरे द्वारा सुबह में मेरे ऑफिस के सहयोगी को दिया गया उपद्देश को ज़मीन पे लाने का समय आ चूका था हुआ यूं की मै अपने भाई  के साथ जयपुर के सीकर रोड के रीलैन्से मार्केट से घर का सामान लेकर रात के लगभग 9.30 बजे घर के लिए निकला और 200 मीटर आगे बढ़ा होगा की एक tata maxi ने आगे से overtak करके गाड़ी हमारे आगे लगा दी जब हम साइड लेकर उसके बराबरी पे पहुचे और उससे कुछ पूछते की ड्राईवर के बगल में बैठा व्यक्ति गालिया निकालने लगा फिर हमन उन दोनों की आखे देखी तो लाल थी मैंने तुरन्त अपने भाई को बोला 100 नंबर पे लगाओ तब वो भागने लगा और हम पीछा करने लगे इस क्रम में उसने दो बार अपनी गाड़ी से दबाने की कोसिस की हम फिर भी लगे रहे इतने में VKI रोड नंबर 1 का लाइट आ गया जहा एक ट्रैफिक पुलिस का बूथ भी लगा है हम उस बूथ पर गए और बोला की ये गाड़ी पकड़ो लेकिन उसने कुछ नही किया लेकिन वो गाड़ी वाला डर कर पीछे मुड़ाकर भाग गया फिर मैंने देखा की अब मैं उसका पीछा नही कर सकता पुलिस वाला कर सकता है और मैंने पुलिस वाले को बोला की आप नाकाबंदी करके गाड़ी वाले को पकड़ो क्योकि वो नसे में है और उसकी गाड़ी से कोई मर भी सकता है फिर उस पुलिस वाले की आवाज लडखडाती हुयी आयी और जब मैंने उसको नजदीक जाके देखा तो वो सराब के नसे में था जब मैं उसकी फ़ोटो लेने लगा तो वो खड़ा होगया लड़ने के लिये मैंने सोचा अब थाने चलते है और विद्याधरनगर थाने पहुँचा वहा घुसते ही एक दरोगा साहब जिनका नाम हनुमान था वो सो कर TV पे सिनेमा देख रहे थे उन्हें आप बीती बताई तो सोते सोते पूछा कहा चोट लगी है दीखाओ मैंने कहा चोट नही लगी बच गया में फिर बोले फिर क्या समस्या है मैंने कहा समस्या ये है की वो सराबी ड्राईवर अभी भी नसे में गाड़ी दौड़ा रहा है कोई अनहोनी हो सकती है आप हमारी शिकायत दर्ज करो तब उन्होंने सोते सोते ही सिपाही को बोला  इनका नाम पता लिख लो मैंने कहा की अजी मुझे थोड़ी न पकड़ना है उस गाड़ी का पहले नंबर लिखो और नाकाबंदी करवाकर पकड़ो नही तो कोई दुर्घटना घट जायेगी उन्होंने फिर जाकर उस गाड़ी नंबर RJ23 GA 8357 नोट किया मैंने कहा उसे पकड़कर मुझे बुलाना में कोर्ट तक उसके खिलाफ गवाही दूंगा जिससे दुबारा इसतरह की घटना को अंजाम न दे पाये और में घर आगया तब बनिपार्क के दुर्घटना थाने से फ़ोन (0141-2209040) आया आपने 100 नंबर पे कॉल किया था मैंने बोला हा किया था कहा चोट लगी मैंने कहा नही लगी फिर बोलते है की आप अपना नाम पता बताओ मैंने बता दिया उसने मेरी जात तक पूछ ली लेकिन उस सराबी के द्वारा चलायी जा रही गाड़ी के बारे में कुछ नही पूछा मैंने अंत में बोला की आप गाड़ी पकड़ो बोलते है की अभी नाकाबंधी करवाकर पकड़वा रहा हु मैंने बोला की गाड़ी नंबर तो नोट करले इतना कहना था की उन्होंने फ़ोन काट दिया।
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> और एक घटना ने मेरी सोच ही बदल दी जहाँ सुबह तक में ये कह रहा था की तुगलकाबाद की घटना के लिए हम सब जिमेदार है पुलिस नही लेकिन मेरे साथ जब घटना हुयी मै पुलिस के पास गया तो वो पुलिस वाला खुद नसे में था थाने में गया तो हनुमान जी दरोगा उठे तक नही  तो इसतरह की घटना और होगी खूब होगी क्योकि जिस पुलिस का स्लोगन है " अपराधियो में भय आमजनों में विस्वास" इसे पढ़ने के बाद मै ये नही समझ प् रहा हु की क्या मै आमजन  नही हु ? उस सराबी पुलिस और सराबी ड्राईवर में से किसका अपराध बड़ा है ? सायद इन प्रश्नो का उत्तर न मिले लेकिन मुझे इतने निरासा हाथ लगने के बाद भी एक बात की खुशि है की मैंने अपना सजग नागरिक होने का फर्ज अदा किया क्योकि अभी हाल में ही नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने पुरुस्कार प्राप्त करते समय जो भासण दिया था उसमे एक कहानी सुनायी थी की एक बार जंगल में आग लग गयी सभी भाग रहे थे और जंगल का राजा कहे जाने वाला शेर भी भाग रहा था उसने एक चिड़िया को देखा वो जंगल में जा रहा था उस शेर ने चिड़िया से पूछा तुम कहा जा रहे हो चिड़िया बोली आग बुझाने जा रही हु मुँह में पानी ले रखा है। कहानी ये थी की आप अपना दायित्व निभाईये अपने हिसे की बाकि क्या होगा इसपे ध्यान न दे।

Thursday 8 January 2015

भारतीय मीडिया की गिरती साख

किसी भी लोकतंत्र में मीडिया का अहम योगदान होता है क्योकि मीडिया समाज का आईना होता है और वो देश में होने वाले किसी भी घटना पे अपनी स्वतंत्र राय रखता है। लेकिन भारतीय लोकतंत्र में कुछ दिनों से ये देखने में नही आरहा है जो देश के लिए ठीक नही है। क्योकि जिस प्रकार से देश में घोटालो की मैराथन सुरु हुई तो न्यायपालिका के साथ साथ मीडिया की भूमिका बढ़ने लगी लेकिन हमारे देश हुआ ये की मीडिया हाउस के मालिक कई घोटालो  के आरोपी मालिक बन बैठे कोयला घोटाले के अनेक आरोपी मीडिया हाउस के या तो मालिक बन गए या फिर कुछ हिसेदारी लेली इसका परिणाम ये हुआ की मीडिया हाउस सत्ता की चाटुकार होती जा रही है। और फिर वो मीडिया आम आदमी पार्टी के चुनावों के लिए ईमानदारी से चंदा इकठा करने के तरीके पे सवाल तो उठती है की 20000 के आम आदमी खाना कैसे खा सकता है लेकिन वो बीजेपी कांग्रेस के 80% चंदे का स्रोत नही बताने पे मोन रहती है। ये मीडिया मोदीजी से ये सवाल नही पूछ पाती की आपने कहा की न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन 2G /4G गैस घोटाले के आरोपी कंपनी के वकील आपके मंत्रिमंडल में है। वो वकील अपने पुराने ग्राहक को फायदा नही पंहुचा सकता है क्या ? ये मीडिया ये सवाल नही पूछ पाता है मोदी सरकार से की न्यूक्लियर डील के समय वामपंथियो के समर्थन वापस लेने से UPA सरकार अल्पमत में आने पे लोकसभा में बीजेपी के कुछ सांसद ने 1 करोड़ के नोट लहराते हुये आरोप लगाया था की ये UPA के लोग ने दिया था वोट के लिए बाद में बीजेपी सांसद और अमर सिंह जेल भी गए और सभी आरोपी बरी होगये वो पैसा 1 करोड़ किसका था आज तक दिली पुलिस पता नही कर पायी क्यों नही मोदी सरकार पता करवाती है काला धन न सही यही पैसा पता करके बता देवे की किसका पैसा था लेकिन सता और मीडिया के साथ साठ गांठ होने कारण इसे भूलना पड़ा क्या यही स्वतन्त्र निर्भीक मीडिया का कार्य है ? इसे सत्ता की चटूकारित न कहे तो क्या कहे ? मोदी सरकार ने कहा था एक साल के अंदर संसद को सुध करेगे लेकिन हुआ क्या पिछले 7 महीनो में ? अगले 5 महीनो में हमारे 34 % संसद या तो सजा पा जायेगे या बरी हो जायेगे क्या ? ऐसा लगता है आपको ? लेकिन मीडिया इस मत्वपूर्ण बीजेपी के वादे को याद भी नही दिला रही है न ही बीजेपी को न ही देशवासियो को क्या यही चौथे स्तम्भ का कार्य है ? मीडिया आम आदमी पार्टी के द्वारा पानी पे छुट देने की आलोचना करती है लेकिन वही मीडिया देश 92 सांसद पिछले सात महीने से दिली के पांच सितारा होटल में रह रहे है जिसका एक दिन का खर्चा 8 लाख वो किसका पैसा है और किसके लिए है ? इस देश में घोटाले से कितना नुकसान हो रहा है कर्नाटक के लोकायुक्त रहे सन्तोस हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में दिया की कंपनियो ने जितनी खनन का लाइसेंस लिया था उससे ज्यादा का खनन किया जिससे सीधे सरकार को 5000 करोड़ का नुकसान हुआ क्या इन घोटालो से देश का वित्तीय घाटा नही बढ़ता बस जनता के कल्याणकारी योजनाओ से ही वितीय घाटा बढ़ता है जो कच्चे तेल के दाम आधे हो गए लेकिन ये सरकार ने रैट पेट्रोल डीज़ल के आधे नही किये और टैक्स बढा दिए क्या इसपे मीडिया का रुख देश की जनता के तरफ न होकर सत्ता की चाटुकार नजर आई क्योकि इस फैसले की आलोचना होनी चाहीये थी लेकिन हुआ नही और सरकार की घिसी पिटी दलील के हाँ में हाँ मिलाती नजर आयी । होना ये चाहीये था की भर्स्टर व्वस्था के रहते जनकल्याणकारी योजना का पूरा पैसा जनता तक कैसे पहुचेगा ? ये सवाल किसी मीडिया के द्वारा नही हुआ क्या यही रूप होता है स्वतन्त्र निर्भीक बेबाक मीडिया का क्या ? और अगर ऐसा ही होता है तो फिर ये रूप हमारे देश के मीडिया का नही होना चाहिये।
तीन काले धन रखने वाले के नाम सर्वाजनिक हुए जिसमे से दो ने दोनों पार्टी को चंदा दे रखा था लेकिन इस देश का मीडिया को इस खबर को जिस प्रमुखता से दीखना छापना चाहीये था वैसा हुआ नही।